Panoramic view of Sangrah Town.

Saturday, December 16, 2017

Nalchoong Gufa near Sangrah Town


सदियों से आस्था का केंद्र रही है विभिन्न आकृतियों वाली नलचूंग गुफा 

संगड़ाह। उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह से करीब तीन किलोमीटर दूरी पर चूना पत्थर की पहाड़ी मे मौजूद नलचूंग गुफा सदियों से क्षेत्रवासियों के आस्था का केंद्र रही है। गुफा वाली पहाड़ी के ऊपरी हिस्से मे मौजूद जिला सिरमौर के वराह अवतार के एकमात्र मंदिर से इस गुफा का संबंध बताया जाता है। इलाके के बुजुर्गो लोक कथाओं के अनुसार इस प्राकृतिक गुफा का संबंध पांडवों के अज्ञातवास के भी रहा है तथा इससे कुछ दूरी पर भीम का चूल्हा के नाम से जाने जाने वाली दो विशाल पत्थरों की चूल्हे नुमा आकृति भी है। क्षेत्र वासियों के मुताबिक हालांकि यह गुफा करीब 10 किलोमीटर लंबी तथा पहाड़ी के दूसरी ओर मौजूद गांव बड़ग तक बताई जाती है, मगर कईं साल से इस गुफा के ज्यादा अंदर तक लोग नहीं  गए। गुफा की दिशा मे दूसरी ओर बड़ग माइनिंग क्षेत्र के समीप भी एसी ही गुफा का मुहाना दिखता है। बुजुर्गों के अनुसार काफी समय पहले एक कुत्ता जंगली जानवर शाईल का पीछा करते हुए इस गुफा के दोनों तरफ निकला था। गुफा के ऊपर पहाड़ी की चोटी पर मौजूद वराह अवतार के एकमात्र मंदिर से भी इस गुफा का आध्यात्मिक संबंध बताया जाता है। गुफा के अंदर से लगातार पानी बहने के बावजूद इसके अन्दर कोई जीव, घास शैवाल तक होने तथा विभिन्न आकृतियों के चलते इसे रहस्यमयी कहा जाता है। नलचूंग गुफा के नाम से जानी जाने वाली इस रहस्यमई गुफा के बाहरी हिस्से मे की हालनुमा जगह मे क्षेत्रवासियों के अनुसार कईं महात्माओं द्वारा तपस्या की गई है। शुक्रवार को 'दिव्य हिमाचल' द्वारा गुफा के करीब 50 मीटर अंदर तक की तस्वीरें भी ली गई, जो इसके अन्दर की पहली बार ली गई तस्वीरें है। डोलोमाइट अथवा उत्तम क्वालिटी की चूना पत्थर की पहाड़ी मे बनी इस गुफा के अंदर बनी प्राकृतिक आकृतियों को लोग भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह देवता से संबंधित मानते हैं। गुफा के दोनों हिस्सों के आस-पास चल रही चूना खदान मे ब्लास्टिंग से भी इस गुफा के अंदर कुछ जगहों पर पत्थर खिसकने लगे हैं।

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